पुत्र-पुत्री प्राप्ति हेतु
 💐हमारे पुराने आयुर्वेद ग्रंथों में पुत्र-पुत्री प्राप्ति हेतु दिन-रात, शुक्ल पक्ष-कृष्ण पक्ष तथा माहवारी के दिन से सोलहवें दिन तक का महत्व बताया गया है। धर्म ग्रंथों में भी इस बारे में जानकारी मिलती है।  यदि आप पुत्र प्राप्त करना चाहते हैं और वह भी गुणवान, तो हम आपकी सुविधा के लिए हम यहाँ माहवारी के बाद की विभिन्न रात्रियों की महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं।    * चौथी रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र अल्पायु और दरिद्र होता है।   * पाँचवीं रात्रि के गर्भ से जन्मी कन्या भविष्य में सिर्फ लड़की पैदा करेगी।   * छठवीं रात्रि के गर्भ से मध्यम आयु वाला पुत्र जन्म लेगा।   * सातवीं रात्रि के गर्भ से पैदा होने वाली कन्या बांझ होगी।   * आठवीं रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र ऐश्वर्यशाली होता है।   * नौवीं रात्रि के गर्भ से ऐश्वर्यशालिनी पुत्री पैदा होती है।   * दसवीं रात्रि के गर्भ से चतुर पुत्र का जन्म होता है।   * ग्यारहवीं रात्रि के गर्भ से चरित्रहीन पुत्री पैदा होती है।   * बारहवीं रात्रि के गर्भ से पुरुषोत्तम पुत्र जन्म लेता है।   * तेरहवीं रात्रि के गर्म से वर्णसंकर पुत्री जन्म लेती है।   * चौदहवीं...