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Showing posts from September 13, 2017

त्रिफला चूर्ण

🌿🍈🌿🍈🌿🍈🌿🍈🌿🍈 ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ   *त्रिफला चूर्ण* 🌿आँवला, बहेड़ा व हरड़ का चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर त्रिफला तैयार कीजिए। यह चूर्ण आवश्यकतानुसार 1 से 8 ग्राम तक खाया जा सकता है। सावधानीः रास्ता चलकर थके हुए, बलहीन, कृश, उपवास से दुर्बल बने हुए को तथा गर्भवती स्त्री एवं नये बुखारवाले को त्रिफला नहीं लेना चाहिए। 🌿औषधि-प्रयोगः 🌼नेत्र-रोगः आँखों के सभी रोगों के लिए त्रिफला एक अकसीर औषध है। इस त्रिफला चूर्ण को घी तथा मिश्री के साथ मिलाकर कुछ माह तक खाने से नेत्ररोग दूर होते हैं। नेत्रों की सूजन, दर्द, लालिमा, जलन, कील, ज्योति मांद्य आदि रोगों में सुबह-शाम नियमित रूप से त्रिफला चूर्ण अथवा त्रिफला घृत लेने से और त्रिफला जल से नेत्र प्रक्षालन करने से नेत्र-सम्बन्धी समस्त विकार मिटते हैं व नेत्रों की ज्योति तथा नेत्रों का तेज बढ़ता है। 🌹त्रिफला जल बनाने की विधिः मिट्टी के कोरे बर्तन या काँच के बर्तन में 2 ग्राम त्रिफला चूर्ण 200 ग्राम जल में भिगोकर रखें। 4-6 घंटे बाद उस जल को ऊपर से निथारकर बारीक स्वच्छ कपड़े से छान लें। फिर उस जल से नेत्रों को नित्य धोयें या उसमें ...

भूख न लगना या मन्दाग्नि

भूख न लगना या मन्दाग्नि परिचय:- हमारे द्वारा किया जाने वाला भोजन जब आमाशय में जाता है तो वह वहां जाकर आमाशय की अग्नि द्वारा ही पकता है। भोजन को जो अन्दर पचाकर रस बनाता है उसे जठराग्नि कहते हैं। शरीर में भोजन इसी के द्वारा पचता है परन्तु जब जठराग्नि कमजोर हो जाती है और भोजन को पचाने में असमर्थ हो जाती है तो व्यक्ति के अन्दर भूख का नाश हो जाता है अर्थात व्यक्ति को भूख नहीं लगती और शरीर में खून की कमी हो जाती है। इससे रोगी में सिर का दर्द, सिर का भारी होना तथा खून की कमी होने जैसे रोग उत्पन्न होने लगते हैं। इस रोग के कारण शरीर सूख जाता है तथा चेहरे पर उदासी व चमक में कमी आ जाती है। कारण-           इस रोग के उत्पन्न होने के अनेक कारण होते हैं। इस रोग को उत्पन्न होने का कारण अधिक मिर्च-मसाले वाला भोजन करना, अनियमित भोजन करना, कोई कार्य न करना, भोजन करने के बाद बैठना, कब्ज बनाने वाले भोजन का सेवन करना आदि है। कभी-कभी यह रोग अधिक वीर्य रस्खलन के कारण भी हो जाता है। जल चिकित्सा द्वारा रोग का उपचार-           मन्दाग्नि को दूर करने ...

सफर के समय जी मिचलाना तथा उल्टी आना

_*सफर के समय जी मिचलाना तथा उल्टी आना*_ 👇👇 _*परिचय:-*_ _*कुछ ऐसे व्यक्ति होते हैं जिनको सफर करते समय में उल्टियां होने लगती है तथा जी मिचलाने लगता है। अक्सर ऐसा होता है कि वे लोग वैसे तो ठीक रहते हैं पर जैसे ही कहीं जाने के लिये बस या रेल आदि में बैठते हैं तो उनका जी मिचलाने (उबकाई) लगता है और उन्हें उल्टी आने लगती है। इससे उनका सफर शुरू होने से पहले ही खराब हो जाता है।*_ _*सफर के समय जी मिचलाने तथा उल्टी आने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-*_ _*जैसे ही सफर करने के समय में व्यक्ति का जी मिचलाने लगे तथा उल्टियां होने लगे उसी समय व्यक्ति को अपने मुंह में लौंग रखकर चूसनी चाहिए। इससे जी मिचलाना और उल्टियां होना भी बंद हो जाती हैं।*_ _*सफर पर जाने से आधे घंटे पहले ही 1 चम्मच प्याज के रस और 1 चम्मच अदरक के रस को मिलाकर पी लें। इससे सफर में जी नहीं मिचलाएगा (उबकाई नहीं आयेगी)। अगर सफर ज्यादा लम्बा हो तो यह रस बनाकर अपने साथ ही रख लें। इस रस को दुबारा 4 से 6 घंटे के बाद पी सकते हैं। इस रस को पीने से जी नहीं मिचलाता तथा उल्टी भी नहीं होती।*_ _*सफर पर निकलने से पहले लगभग 240 ...

पायरिया पर इलाज

_*पायरिया*_ 👇👇 _*परिचय:-*_ _*जब किसी व्यक्ति को पायरिया रोग हो जाता है तो उसके मुंह से बदबू आने लगती है और यदि मसूढ़ों को दबाते हैं तो दांतों में दर्द तथा मसूढ़ों से खून निकलने लगता है। कभी-कभी तो रोगी के मसूढ़े सूज जाते हैं और उसमें से कभी-कभी पीबयुक्त खून भी निकलने लगता है। जब ये गंदा खून भोजन के साथ पेट में पहुंचता है तो बहुत से रोग पैदा करता है। इस रोग के कारण और भी कई प्रकार के रोग भी व्यक्ति को हो जाते हैं जैसे- पेट में सूजन, अल्सर, अपच, गले की सूजन, ज्वर, आंखों से सम्बन्धित रोग आदि। इसके अलावा पायरिया रोग के कारण और भी कई बड़े रोग हो सकते हैं जो इस प्रकार हैं- जिगर, दिमाग, गुर्दे तथा फेफड़ों के रोग आदि।*_ _*पायरिया रोग होने के कारण-*_ _*जब कोई व्यक्ति भोजन या अन्य पदार्थ खाने के बाद या पीने के बाद अपने दांतों की सफाई सही से नहीं करता है तो उसके दांतों के आसपास जीवाणु पनपने लगते हैं जिसके कारण उसे पायरिया रोग हो जाता है।*_ _*पान, तम्बाकू, सुपारी, धूम्रपान तथा गुटके आदि के सेवन से पायरिया रोग हो सकता है।*_ _*कब्ज तथा शरीर में होने वाले अन्य रोग दांतों को प्रभावित कर...