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Showing posts from February 4, 2017

जागने के तुरंत बाद क्यों पियें एलोवेरा

*जागने के तुरंत बाद क्यों पियें एलोवेरा* सुबह सुबह उठकर खाली पेट aloe vera juice पीने से आपके पेट के अंदर की हर प्रकार की गंदगी बाहर निकल जाती है ।  aloe vera juice शरीर से हर प्रकार की गंदगी को बाहर निकाल देता है। साथ ही, आपको ताजगी का एहसास होता है। सुबह उठते ही aloe vera juice पीते हैं तो आपका पेट साफ हो जाता है और इस प्रकार से आपको भूख लगती है। फिर आपका सुबह का नाश्ता अच्‍छा होता है। शरीर के अंदर पानी की कमी ही वजह से सिर में दर्द शुरु हो जाता है। अगर आपको भी ऐसी समस्या का सामना करना पड़ता है तो कोशिश करें कि सुबह खाली पेट aloe vera juice पियें। aloe vera juice पीने से मेटोबॉलिज्म को भी मजबूती मिलती है। सुबह सुबह खाली पेट aloe vera juice पीना आपका खून भी बढ़ाता है। दरअसल, खाली पेट aloe vera juice पीने से रेड ब्‍लड सेल्‍स जल्‍दी जल्‍दी बढ़ने लगते हैं। इसलिए अगर आपको खून की कमी है तो आप इसकी आदत जरूर डाल लें। जब आप सुबह उठते ही सबसे पहले aloe vera juice पियेंगे, तो आपकी त्वचा चमकने लगेगी।

मुनक्का

*मुनक्का* 1) कब्ज के रोगियों को रात्रि में मुनक्का और सौंफ खाकर सोना चाहिए।  कब्ज दूर करने की यह रामबाण औषधि है। 2) भूने हुए मुनक्के में लहसुन मिलाकर सेवन करने से पेट में रुकी हुई वायु (गैस) बाहर निकल जाती है और कमर के दर्द में लाभ होता है। 3) यदि किसी को कब्ज़ की समस्या है तो उसके लिए शाम के समय 10 मुनक्कों को साफ़ धोकर एक गिलास दूध में उबाल लें फिर रात को सोते समय इसके बीज निकल दें और मुनक्के खा लें तथा ऊपर से गर्म दूध पी लें , १ इस प्रयोग को नियमित करने से लाभ स्वयं महसूस करें |  इस प्रयोग से यदि किसी को दस्त होने लगें तो मुनक्के लेना बंद कर दें | 4) पुराने बुखार के बाद जब भूख लगनी बंद हो जाए तब 10 -12 मुनक्के भून कर सेंधा नमक व कालीमिर्च मिलाकर खाने से भूख बढ़ती है | 5) बच्चे यदि बिस्तर में पेशाब करते हों तो उन्हें 2 मुनक्के बीज निकालकर व उसमें एक-एक काली मिर्च डालकर रात को सोने से पहले खिला दें , यह प्रयोग लगातार दो हफ़्तों तक करें , लाभ होगा | 6) मुनक्के के सेवन से कमजोरी मिट जाती है और शरीर पुष्ट हो जाता है | 7) मुनक्के में लौह तत्व Iron की मात्रा अधिक हो...

बाल झडते हैं तो..

🌷 *अगर आपके बाल झडते हैं तो अपनाएं ये नुस्खा* 🌷 अमरुद की लगभग 100 पत्तियों को आधे घंटे तक पानी में उबालें और उन्हें ठण्डा कर लें। अब इस मिश्रण से बालों की जडों में मसाज करें। कुछ घंटों के बाद अपने सिर को धो लें। लाभ : बाल झडने बन्द होने के साथ ही नये बाल भी उगेंगे। यह प्रयोग जितना ज्यादा करोगे उतना ही फायदा होगा।

विभिन्न रोगों पर उपचार

🌹गन्ना ( Cane)🌹 🌺गलगण्ड: 🍀2 से 4 ग्राम हरड़ का चूर्ण खाकर ऊपर से गन्ने का रस पीने से गलगण्ड के रोग में लाभ प्राप्त होता है। 🌺स्वरभंग (आवाज का बैठ जाना): 🍀गन्ने को गर्म राख में सेंककर चूसने से स्वरभंग (गला बैठने) के रोग में लाभ होता है। 🌺श्वास: 🍀3 से 6 ग्राम गुड़ को बराबर मात्रा में सरसों के तेल के साथ मिलाकर सेवन करने से श्वास में लाभ प्राप्त होता है। 🌺स्तनों में दूध की वृद्धि: 🍀ईख की 5-10 ग्राम जड़ को पीसकर कांजी के साथ सेवन करने से स्त्री का दूध बढ़ता है। Aloeverajel या Fresh भी लगा सकतें । 🌺रक्तातिसार (खूनी दस्त): 🍀गन्ने का रस और अनार का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से रक्तातिसार (खूनी दस्त) में लाभ होता है। 🌺अग्निमान्द्य (अपच): 🍀गुड़ के साथ थोड़ा सा जीरा मिलाकर सेवन करने से अग्निमान्द्य, शीत और वात रोगों में लाभ मिलता है। 🌺अश्मरी (पथरी): 🌺अश्मरी (पथरी) को निकलने के बाद रोगी को गर्म पानी में बैठा दें और मूत्रवृद्धि के लिए गुड़ को दूध में मिलाकर कुछ गर्म पिला दें।गन्ने को चूसते रहने से पथरी चूर-चूर होकर निकल जाती है। गन्ने का रस भी लाभदायक है।...

रोग और योगासन

!!!---: रोग और योगासन :---!!! ========================== विभिन्न रोगों में किए जाने वाले विशेष योगासन :---- +++++++++++++++++++++++++++++++ (१.) मोटापा---पश्चिमोत्तासन, चक्रासन, मत्स्येन्द्रासन, गोमुखासन, धनुरासन, हस्तपादासन आदि । (२.) अस्थि, सन्धि-विकार एवं कटिशूल----वीरासन, भुजंगासन, शलभासन, धनुरासन, वज्रासन, मत्स्यासन, सुप्त वज्रासन आदि । (३.) उच्चरक्तचाप---शवासन, पद्मासन (ध्यान में), स्वस्तिकासन आदि । (४.) निम्न रक्तचाप---सर्वांगासन, शीर्षासन, भुजंगासन,योगमुद्रासन आदि । (५.) श्वसन-विकार, फुफ्फुस विकार, जीर्ण कासः---भुजंगासन, सर्वांगासन, पश्चिमोत्तासन, मत्स्यासन, वज्रासन, सिंहासन आदि । (६.) मधुमेहः---मयूरासन, भुजंगासन, मत्स्येन्द्रासन, गोमुखासन, चक्रासन आदि । (७.) अजीर्ण, मन्दाग्नि एवम् अम्लपित्तः--वज्रासन, वीरासन, पवनमुक्तासन, उत्तानपादासन, मयूरासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, गोमुखासन आदि । (८.) विबन्ध एवं वायु-विकारः---पवनमुक्तासन, जानुशिरासन, भुजंगासन, धनुरासन, उत्तानपादासन आदि । (९.) मस्तिष्क-विकार, अनिद्रा, चित्तोद्वेग आदि---शवासन, शीर्षासन, विपरीतकरणी, योगमुद...