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Showing posts from September 21, 2018

Advertisement,प्रचार से मूर्ख बनते हैं हम ......

श्री योग संजीवनी... *हमें मूर्ख बनाते विज्ञापन* __________________ *आज से कुछ साल पहले तक डेटॉल और लाइफ बॉय अपने साबुन के एड में दिखाते थे कि उनके प्रोडक्ट से 99% तक जर्म मर जाते हैं, सिर्फ लगाकर धोने भर से। अब इनके हैंडवॉश मार्केट में आये तो इन्होंने अपना नया एड बनाया और साबुन से घृणा करने के लिए बताया कि इसमें जर्म चिपके रह जाते हैं इसलिए इनसे बचने के लिए आपको बिना टच किये इस्तेमाल किये जाने वाला हैंडवॉश खरीद कर लाना चाहिए, विज्ञापन में दिखाया जाता है कि साबुन पर कीटाणु बिलबिला रहे हैं। अब सोचने वाली बात यह है कि पहले जिन साबुनों से 99% जर्म्स नष्ट हो रहे थे उनपर इतने सारे जर्म्स कैसे जीवित रह सकते हैं? या तो आप उस वक्त झूठ बोल रहे थे या फिर अब झूठ बोल रहे हैं। फ्लोर कलीनर के एड भी इसी तरह मूर्ख बना रहे हैं। हम भारतीयों को मूर्ख बनाकर लूटने में कोई भी कंपनी पीछे नही है ना स्वदेशी और ना विदेशी।* *मोस्क्विटो रिपेलेंट के कुछ साल पहले के एड बताते थे कि उनके प्रयोग करने से सारे मच्छर भाग जाएंगे या मर जाएंगे। लेकिन अब वे कह रहे हैं कि हम चार गुना ज्यादा असरदार प्रोडक्ट लाये हैं...

चक्र ध्यान विधि....मन्त्र

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श्री योग संजीवनी... 🌘7- चक्र ध्यान -  द्वारा  पाइए सिद्धयाँ 🌒 1🌑 मूलाधार चक्र : यह शरीर का पहला चक्र है। गुदा और लिंग के बीच चार पंखुरियों वाला यह 'आधार चक्र' है। 99.9 लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है और वे इसी चक्र में रहकर मर जाते हैं। जिनके जीवन में भोग, संभोग और निद्रा की प्रधानता है उनकी ऊर्जा इसी चक्र के आसपास एकत्रित रहती है। मंत्र : लं चक्र जगाने की विधि : मनुष्य तब तक पशुवत है, जब तक कि वह इस चक्र में जी रहा है इसीलिए भोग, निद्रा और संभोग पर संयम रखते हुए इस चक्र पर लगातार ध्‍यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। इसको जाग्रत करने का दूसरा नियम है यम और नियम का पालन करते हुए साक्षी भाव में रहना। प्रभाव : इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए वीरता, निर्भीकता और जागरूकता का होना जरूरी है। 2🌑 स्वाधिष्ठान चक्र- यह वह चक्र है, जो लिंग मूल से चार अंगुल ऊपर स्थित है जिसकी छ: पंखुरियां हैं। अगर आपकी ऊर्जा इस चक्र पर ही एकत्रित है तो आपके जीवन में आमोद-प्रमोद, म...

प्राणायाम

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श्री योग संजीवनी... *रोग दूर भगाएँ-भाँति-भाँति के प्राणायाम* *प्राणायाम एक प्रकार से प्राण के आयाम में जाकर किया गया व्यायाम है। इससे समस्त अंग-अवयवों को शक्ति मिलती है। वे स्वस्थ-सबल बनते हैं। इसलिए योगशास्त्रों में स्वास्थ्य-संवर्द्धन के लिए प्राणायाम को एक अति उत्तम उपाय गया है। इसमें स्थूल से लेकर सूक्ष्मशरीर तक को प्रभावित करने की सामर्थ्य है, अतएव इसे आध्यात्मिक उपकारों में सर्वोपरि माना गया है।* *प्राणायाम के अनेकों प्रकार हैं। सभी की अपनी-अपनी क्षमता और विशिष्टता है। सभी की अपनी-अपनी क्षमता और विशिष्टता है। सभी में रोग निवारण के अद्वितीय गुण हैं। यदि व्यक्ति अपनी दिनचर्या में इसे सम्मिलित कर ले तो वह आजीवन स्वस्थ बना रह सकता है। आदमी यदि नीरोग नहीं रहेगा तो वह अपनी दैनिक क्रियाकलाप संपन्न कैसे कर सकेगा? ऐसी स्थिति में तो आत्मिक प्रगति उसके लिए दिवास्वप्न बन जाएगी, जबकि प्राणायाम का एक उद्देश्य आत्मोन्नति भी है। वह शरीर-स्वस्थता प्रदान करने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मोत्कर्ष की ओर भी ले चलता है। इसलिए प्राणायाम जीवन का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए।* *प्राणायाम के तीन अं...