श्रीमद्भागवत गीता के आदर्श वाक्य.....
*गीता के आदर्शों पर चलकर* *मनुष्य न केवल खुद का कल्याण* *कर सकता है, बल्कि* *वह संपूर्ण मानव जाति* *की भलाई कर सकता है* श्रीमद्भागवत गीता न केवल धर्म का उपदेश देती है, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाती है। महाभारत के युद्ध के पहले अर्जुन और श्रीकृष्ण के संवाद लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। गीता के उपदेशों पर चलकर न केवल हम स्वयं का, बल्कि समाज का कल्याण भी कर सकते हैं। पौराणिक विपिन शास्त्री बताते हैं कि महाभारत के युद्ध में जब पांडवों और कौरवों की सेना आमने-सामने होती है तो अर्जुन अपने बुंधओं को देखकर विचलित हो जाते हैं। तब उनके सारथी बने श्रीकृष्ण उन्हें उपदेश देते हैं। ऐसे ही वर्तमान जीवन में उत्पन्न कठिनाईयों से लडऩे के लिए मनुष्य को गीता में बताए ज्ञान की तरह आचरण करना चाहिए। इससे वह उन्नति की ओर अग्रसर होगा। 1- क्रोध पर नियंत्रण गीता में लिखा है क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है। जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाते हैं। जब तर्क नष्ट होते हैें तो व्यक्ति का पतन शुरू हो जाता है। 2 नजरिया से बदलाव जो ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को...