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Showing posts from July 15, 2018

प्राणायाम क्यों जरूरी है ??

श्री योग संजीवनी... #प्राणायाम क्यों जरूरी है ?? शरीर के स्वस्थ बने रहने में हमारे श्वसन तंत्र की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. दूषित और विषाक्त पर्यावरण वैसे ही हमारे स्वास्थ्य को ग्रस रहा है उस पर हमारा गलत आहार-विहार और सही जीवन शैली सम्बन्धी हमारी अज्ञानता इसमें इजाफा कर रहे हैं. Biovatica .Com इस लेख के माध्यम से श्वसन तंत्र को सशक्त और शरीर को स्वस्थ बनाने में आहार और उचित जीवन शैली की भूमिका पर प्रकाश डाल रहे हैं. प्राकृतिक चिकित्सा की मान्यता के अनुसार हमारा शरीर तभी अस्वस्थ होता है जब शरीर में विषाक्त द्रव्य एकत्रित होने लगते हैं. शरीर को शुद्ध रखने वाले अंग जब अपनी क्षमता के अनुरूप कार्य नहीं कर पाते तब यह स्थिति उत्पन्न होती है. हमारा शरीर जीवित रहे और उसके सारे क्रिया-कलाप सुचारु ढंग से चलते रहें इसके लिए हमारे शरीर को निरंतर ऊर्जा व् शक्ति की आवश्यकता रहती है जिसकी आपूर्ति के लिए हमें नियमित रूप से भोजन, पानी व् श्वास (ऑक्सीजन) ग्रहण करते रहना होता है. अब नियमित रूप से शरीर द्वारा ग्रहण किये गए विभिन्न आहार से ऊर्जा प्राप्त करने की प्रक्रिया से उत्पन्न पदार्थों के रूप...

दस्त होने पर घरेलु उपचार

श्री योग संजीवनी... *दस्त होने पर घरेलु उपचार* दस्त(लूज मोशन) पेट से संबंधित रोग है जिसे डायरिया भी कहते हैजो पाचन तंत्र बिगड़ने के कारण हो सकती है। बड़े और बच्चे, दस्त और पेट में मरोड़ की समस्या से कोई भी प्रभावित हो सकता है। बदहज़मी और खाने पीने की गलत आदतें दस्त के प्रमुख कारण है। इसके इलावा जादा गर्मी और सर्दी लगने से भी पतले दस्त हो सकते है। *पहला प्रयोग* 1 से 2 ग्राम सोंठका पाउडर 2 से 10 ग्राम शहद के साथ देने से दस्त एवं उलटी में लाभ होता है। *दूसरा प्रयोग* तुलसी के पंचांग(जड़, पत्ती, डाली, मंजरी, बीज) काकाढ़ा देने से अथवा प्याज, अदरकएवं पुदीने प्रत्येक के 2 से 5 मिलिलीटर रस में 1 से 2 ग्राम नमक मिलाकर देने से दस्त में लाभ होता है। *तीसरा प्रयोग* दस्त के रोगी की नाभि में बड़ का दूध अदरक का रस भर देने से लाभ होता है। *चौथा प्रयोगः* आम की गुठली की गिरी का 4 से 5 ग्राम चूर्ण शहद के साथ देने से लाभ होता है। *पाँचवाँ प्रयोगः* सौंफ और जीरा सम भाग लेकर तवे पर भूनें और बारीक पीसकर 3-3 ग्राम दिन में 2-3 बार पानी के साथ खिलावें। दस्त बन्द करने के लिए यह सस्ताव अच्छा...

श्वेतप्रदर

श्री योग संजीवनी... *श्वेतप्रदर(सफेद पानी का आना)* परिचय इस रोग में स्त्रियों के योनि के रास्ते सफेद पीला या दूध की तरह सफेद पदार्थ निकलता है। प्रदर रोग में शारीरिक निर्बलता तेजी से बढ़ती है। प्रदर रोग प्रमेह या सुजाक से बिल्कुल अलग होता है। यह रोग खाना-खाने में लापरवाही होने से, अधिक लेसदार, चिपचिपा और बदबूयुक्त सफेद प्रदर का स्राव होने लगता है। श्वेत प्रदर होने पर रोगी के दिमाग में शूल, शरीर के अन्य अंगो में दर्द, योनि में जलन और खुजली होती है। इससे स्त्रियों के कमर में ज्यादा दर्द होता है। प्रदर रोग के कारण अधिक बदबूयुक्त स्राव होता है। सहवास के दौरान भी स्त्रियों को परेशानी होती है। लक्षण इस रोग में स्त्री के योनि से रूखा झागदार और थोड़ा रक्त स्रावित होता है। पित्तज प्रदर में पीला, नीला और लाल रंग का गर्म खून बहता है। कफज प्रदर में सफेद रंग का हल्का लालिमा लिए लिबलिबा स्राव निकलता है और त्रिदोषज प्रदर में शहद जैसा गर्म और बदबूदार साव निकलता है। इस रोग में कमजोरी, थकान, तन्द्रा, मूर्च्छा, जलन, आंखे झपकना, शरीर का पीलापन, प्रलाप करना आदि अनेक लक्षण उत्पन्न होते हैं। कार...