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स्वामी विवेकानंद जी

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श्री योग संजीवनी... 🔰आज का प्रेरक प्रसंग ✅       !! मुसीबत से डरकर भागो मत !!        !! उसका डटकर सामना करो !! --------------------------------------------- स्वामी विवेकानंद : 12 जनवरी जन्म दिवस विशेष _____________________ स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी सन्‌ 1863 को कलकत्ता में हुआ था। इनका बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ था। इनके पिता श्री विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। 25 वर्ष की अवस्था में नरेन्द्र ने गेरुआ वस्त्र धारण कर लिये। तत्पश्चात् उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की। सन्‌ 1893 में शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म परिषद् हो रही थी। स्वामी विवेकानन्द उसमें भारत के प्रतिनिधि के रूप में पहुँचे। 4 जुलाई, 1902 को बेलूर में रामकृष्ण मठ में उन्होंने ध्यानमग्न अवस्था में महासमाधि धारण कर प्राण त्याग दिए। उनके शिष्यों और अनुयायियों ने उनकी स्मृति में वहाँ एक मंदिर बनवाया और समूचे विश्व में विवेकानंद तथा उनके गुरु रामकृष्ण के संदेशों के प्रचार के लिए 130 से अधिक केंद्रों की स्थापना की। इनके जन्म दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्री...

वजन कम करने के लिए अपनाएं योग और घरेलू नुस्खे

श्री योग संजीवनी... नींबू और त्रिफला चूर्ण का सेवन करे। एक पैन में पानी के साथ त्रिफला चूर्ण डालकर धीमी आंच में गर्म करें। जब पानी आधा बचे तो इस काढ़ा का सेवन करें। रोजाना खाली पेट गौधन अर्क का करे सेवन लौकी का जूस पिएं। इसमें आप नींबू और पुदीना भी डालकर सकते हैं। इससे जूस का स्वाद बदल जाएगा। गर्म पानी में 1 चम्मच शहद, आधा चम्मच नींबू, आधा चम्मच अदरक का रस, आधा चम्मच हल्दी का रस डालकर अच्छी तरह मिक्स करके इसका सेवन खाली पेट करें।  अंकुरित अनाज खाएं। अनाज का सेवन करे बंद। मोटापा कम करने के लिए करें ये प्राणायाम भस्त्रिका  इस प्राणायाम को करने से पूरे शरीर में ऑक्सीजन का ठीक ढंग से प्रवाह होता है। जिससे आपको डायबिटीज के साथ-साथ कई अन्य बीमारियों से भी निजात मिल जाएगा।  अनुलोम-विलोम सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। इसके बाद दाएं नाक ...

कमर दर्द के घरेलू उपाय

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श्री योग संजीवनी... 🌹1. रोज सुबह सरसों या नारियल के तेल में लहसुन की तीन-चार कलियॉ डालकर (जब तक लहसुन की कलियां काली न हो जायें) गर्म कर लें। ठंडा होने पर इस तेल से कमर की मालिश करें। 🌹2. नमक मिले गरम पानी में एक तौलिया डालकर निचोड़ लें। इसके बाद पेट के बल लेट जाएं। दर्द के स्थान पर तौलिये से भाप लें। कमर दर्द से राहत पहुंचाने का यह एक अचूक उपाय है। 🌹3. कढ़ाई में दो-तीन चम्मच नमक डालकर इसे अच्छे से सेक लें। इस नमक को थोड़े मोटे सूती कपड़े में बांधकर पोटली बना लें। कमर पर इस पोटली से सेक करने से भी दर्द से आराम मिलता है। 🌹4. अजवाइन को तवे के पर थोड़ी धीमी आंच पर सेंक लें। ठंडा होने पर धीरे-धीरे चबाते हुए निगल जाएं। इसके नियमित सेवन से कमर दर्द में लाभ मिलता है। 🌹5. अधिक देर तक एक ही पोजीशन में बैठकर काम न करें। हर चालीस मिनट में अपनी कुर्सी से उठकर थोड़ी देर टहल लें। 🌹6. नर्म गद्देदार सीटों से परहेज करना चाहिए। कमर दर्द के रोगियों को थोड़ा सख्ते बिस्तर बिछाकर सोना चाहिए। 🌹7. योग भी कमर दर्द में लाभ पहुंचाता है। भुन्ज्गासन, शलभासन, हलासन, उत्तानपाद...

शास्त्र

श्री योग संजीवनी... *जिस प्रकार एक माँ का हाथ में डंडा लेने का उद्देश्य अपनी संतान को पीटना नहीं अपितु उसे थोडा सा भय दिखाकर गलत काम करने से रोकना होता है। ठीक इसी प्रकार हमारे शास्त्रों में भी दंड विधान का मतलव किसी को आतंकित करना अथवा भयभीत करना नहीं, थोडा सा भय दिखाकर मनुष्यों को कुमार्ग पर चलने से बचा लेना है।*          *शास्त्रों का काम डराना नहीं है , जीवन को अराजकता से बचाना है। शास्त्र पशु बने मनुष्यों के लिए उस चाबुक के समान है जो सही दिशा में जाने को बार- बार प्रेरित करता है। शास्त्रों का उद्देश्य भयभीत करना नहीं अपितु भयमुक्त कर देना है।*          *शास्त्र घर में सजाकर रखने के लिए नहीं होते, जीवन में उतारकर कर्मों को सुन्दर बनाने के लिए होते हैं। अतः शास्त्रों से डरो नहीं बल्कि उनके बताये मार्ग पर चलो। ताकि आपको समझाने के लिए कोई विरोध रुपी शस्त्र का सहारा ना ले।*

क्या आप जानते है व्रत कितने प्रकार के होते हैं।

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श्री योग संजीवनी... व्रत या उपवास कितने प्रकार के होते हैं.??? 〰️〰️🔸〰️〰️🔸🔸〰️〰️🔸〰️〰️ व्रत रखना एक पवित्र कर्म है और यदि इसे नियम पूर्वक नहीं किया जाता है तो न तो इसका कोई महत्व है और न ही लाभ बल्कि इससे नुकसान भी हो सकते हैं। आप व्रत बिल्कुल भी नहीं रखते हैं तो भी आपको इस कर्म का भुगतान करना ही होगा। राजा भोज के राजमार्तण्ड में 24 व्रतों का उल्लेख है। हेमादि में 700 व्रतों के नाम बताए गए हैं। गोपीनाथ कविराज ने 1622 व्रतों का उल्लेख अपने व्रतकोश में किया है। व्रतों के प्रकार तो मूलत: तीन है:- 1. नित्य, 2. नैमित्तिक और 3. काम्य। 1.नित्य व्रत👉 उसे कहते हैं जिसमें ईश्वर भक्ति या आचरणों पर बल दिया जाता है, जैसे सत्य बोलना, पवित्र रहना, इंद्रियों का निग्रह करना, क्रोध न करना, अश्लील भाषण न करना और परनिंदा न करना, प्रतिदिन ईश्वर भक्ति का संकल्प लेना आदि नित्य व्रत हैं। इनका पालन नहीं करते से मानव दोषी माना जाता है। 2.नैमिक्तिक व्रत👉 उसे कहते हैं जिसमें किसी प्रकार के पाप हो जाने या दुखों से छुटकारा पाने का विधान होता है। अन्य किसी प्रकार के निमित्त के उपस्थित होने पर चांद्रा...

दिमागी शक्ति के लिए क्या करे

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श्री योग संजीवनी...  विद्यार्थियों के उत्तम स्वास्थ्य तथा बुद्धि, एकाग्रता व स्मरणशक्ति बढ़ाने हेतु. 1.अकेले में मानसिक कल्पनाओं से पागलपन का अंश आ गया अथवा आलस्य है, चिड़चिड़ा स्वभाव है – यह सब दिमाग की कमजोरी है | ऐसे लोगों को क्या करना चाहिए ? हाथों के अँगूठे के पासवाली पहली ऊँगली का अग्रभाग अँगूठे के अग्रभाग के नीचे स्पर्श कराओ और शेष तीन उंगलियाँ सीधी रखों | ऐसे ज्ञान मुद्रा करो और शवासन में सीधे लेट जाओ | दाँतों से जीभ को थोडा-सा बाहर निकालकर रखें | तो बड़े-बड़े इंजेक्शनो से और दिमाग के स्पेशलिस्टों से उतना लाभ नहीं होगा जितना इस प्रकार ज्ञान मुद्रा करने से ही हो जायेगा | थोड़े पागलपन की शुरुआत हो तो वह नियंत्रित हो जायेगा | चिड़चिड़ापन, आलस्य, क्रोध, स्मरणशक्ति की कमजोरी व चंचलता नियंत्रित हो जायेगी और एकाग्रता बढ़ेगी, स्नायुओं में शक्ति बढ़ेगी | इसके साथ मामरा बादाम खा लें तो कहना क्या ! 2. ॐकार का उच्चारण करें , भ्रूमध्य में ॐकार को, सद्गुरु को देखें | इससे बुद्धि विलक्षण ढंग से बढ़ती है | 3 . १५-२० मि.ली. आँवला रस १ कप गुनगुने पानी में मिलाकर भोजन के मध्य मे...