गोमूत्र
गोमूत्र के गुण:
• गोमूत्र वात और कफ़ को अकेला ही नियंत्रित कर लेता है| पित्त के रोगों के लिए इसमें कुछ औषधियाँ मिलायी जाती हैं|
• गोमूत्र में पानी के अलावा कैल्शियम, सल्फर, आयरन जैसे १८ सूक्ष्म पोषक तत्व पाए जाते हैं|
• त्वचा का कैसा भी रोग हो, वो शरीर में सल्फर की कमी से होता है| Soarises, egzima, घुटने दुखना, खाँसी, जुकाम, टीबी के रोग आदि सब गोमूत्र के सेवन से ठीक हो जाते हैं क्योंकि यह सल्फर का भंडार है|
• टीबी के लिए डोट्स का जो इलाज है, गोमूत्र के साथ उसका असर २०-४० गुणा तक बढ़ जाता है!
• शरीर में एक रसायन होता है जिसे curcumin कहते हैं| इसकी कमी से कैंसर रोग होता है| जब इसकी कमी होती है तो शरीर के सेल बेकाबू हो जाते हैं और ट्यूमर का रूप ले लेते हैं| गोमूत्र और हल्दी में यह रसायन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है|
• आँख के रोग कफ़ से होते हैं| आँखों के कई गंभीर रोग हैं जैसे ग्लूकोमा, Retinal Detachment (जिसका कोई इलाज नहीं है एलोपैथ में), मोतियाबिंद आदि सब आँखों के रोग गोमूत्र से ठीक हो जाते हैं| ठीक होने का मतलब कंट्रोल नहीं, जड़ से ठीक हो जाते हैं! आपको करना बस इतना है कि ताज़े गोमूत्र को कपड़े से छानकर आँखों में डालना है|
• सर्दी जुकाम होने पर गाय का घी थोड़ा गर्म कर १-१ बूँद दोनों नाक में डाल कर सोयें|
• अच्छी नींद के लिए, माइग्रेन और खर्राटे से निजात पाने के लिए भी उपरोक्त विधि अपनाएँ|
• बाल झड़ते हों तो ताम्बे के बर्तन में गाय के दूध से बने दही को ५-६ दिन के लिए रख दें| जब इसका रंग बदल जाए तो इसे सिर पर लगा कर १ घंटे तक रखें| ऐसा सप्ताह में ४ बार कर सकते हैं| कई लोगों को तो एक ही बार से लाभ हो जाता है!
• गाय के मूत्र में पानी मिलाकर बाल धोने से गजब की कंडीशनिंग होती है|
• छोटे बच्चों को बहुत जल्दी सर्दी जुकाम हो जाता है| १ चम्मच गो मूत्र पिला दीजिए सारी बलगम साफ़ हो जाएगी|
• किडनी तथा मूत्र से सम्बंधित कोई समस्या हो जैसे पेशाब रुक कर आना, लाल आना आदि तो आधा कप (१०० मिली) गोमूत्र सुबह-सुबह खाली पेट पी लें| इसको दो बार पीएं यानी पहले आधा पीएं फिर कुछ मिनट बाद बाकी पी लें| कुछ ही दिनों में लाभ का अनुभव होगा|
• बहुत कब्ज हो तो ३ दिन तक आधा कप गोमूत्र पीने से कब्ज खत्म हो जाती है|
• गोमूत्र की मालिश से त्वचा पर सफ़ेद धब्बे और डार्क सर्कल कुछ ही दिनों में खत्म हो जाते हैं|
गोमूत्र को सुबह खाली पेट पीना सर्वोत्तम होता है| जो लोग बहुत बीमार हैं, उन्हें १०० मिली से अधिक सेवन नहीं करना चाहिए| यह tea cup का आधे से अधिक भाग होता है| इसे कुछ मिनट का अंतराल देकर दो किश्तों में पीना चाहिए| नीरोगी व्यक्ति को ५० मिली से अधिक नहीं पीना चाहिए| गोमूत्र केवल उन्हीं गोमाता का पीएं जो चलती हों क्योंकि उन्हीं का मूत्र उपयोगी होता है| बैठी हुई गोमाता का मूत्र किसी काम का नहीं होता| जैसे, जर्सी गाय कभी नहीं घूमती और उसके मूत्र में केवल ३ ही पोषक तत्व पाए जाते हैं| वहीं देसी गाय के मूत्र में १८ पोषक तत्व पाये जाते हैं!
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धन्यवाद और आभार ईश्वर का🙏🙏