एकादशी में चावल क्यों नही खाने चाहिए-वैज्ञानिक तथ्य*

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*एकादशी में चावल क्यों नही खाने चाहिए-वैज्ञानिक तथ्य*

हमारे शास्त्रों में जो भी व्रत-पर्व,अनुष्ठान बताये गये हैं, उनका धार्मिक महत्व तो होता ही है, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बहुत उपयोगी है।

एकादशी व्रत का मन से संबंध शास्त्रों के अनुसार- आत्मा रथी है, शरीर रथ है और बुद्धि उस रथ की सारथी है।

 शरीर में कुल 11 इंद्रियां है और मन एकादश यानि ग्यारहवीं इंद्री है *एकादशी को चंद्रमा आकाश में 11वें अक्ष पर होता है। इस समय मन की दशा बहुत चंचल होती है।* इसीलिये एकादशी व्रत करके, मन को वश में करने का प्रयत्न किया जाता है। *चंचल मन को एकाग्र करने के लिये एकादशी व्रत बहुत उपयोगी है।* अगर आप मन से अशांत रहती हैं, या मन किसी अच्छे काम में नहीं लगता तो एकादशी का व्रत रखने से आपका मन बिल्कुल शांत हो जायेगा। शांत मन से आप जो भी काम करेंगे उसमें सफलता अवश्य मिलेगी।

👉-चंद्रमा का संबंध मन से है और जल उसका प्रधान देवता है।

👉-चावल की खेती में सबसे ज्यादा जल की आवश्यकता होती है यानि चावल भी जल प्रधान है।

👉-एकादशी को चावल खाने से, चंद्रमा की किरणें, शरीर के जल तत्व में हलचल मचायेंगी, लिहाजा मन अशांत हो जायेगा।

👉-एकादशी को चावल न खाने से और मंत्र जाप करने से अगले 15 दिनों के लिये शरीर में असीमित ऊर्जा एकत्र हो जाती है।

👉-एकादशी के व्रत से पेट में ज़मा दूषित पदार्थ बाहर आते हैं, और शरीर को नई कांति और ऊर्जा मिलती है।

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